Major Temples of the Districts of Rajasthan

राजस्थान के जिलो के प्रमुख मन्दिर 

Rajasthan ke jilon ke pramukh mandir


1॰ अजमेर

• ब्रह्मा जी सावित्री जी का मन्दिर रंगनाथ जी का मन्दिर बेकुण्ठ धाम वराह मन्दिर ( पुष्कर ) 

• नौग्रहों का मन्दिर ( किशनगढ़ )

 • सोनी जी की नसियाँ - यह मूलतः ऋषभदेव का मन्दिर है , जिसका निर्माण मूलचन्द | सोनी व उसके पुत्र टीकमचन्द के द्वारा करवाया गया , इसे लाल मन्दिर भी कहा जाता है , इसकी छत पर स्वर्णकलश रखा हुआ है ।

2॰अलवर

नीलकण्ठ महादेव का मन्दिर ( अजयपाल द्वारा निर्मित )

• नारायणी माता की । मन्दिर ( राजगड़ के बरवा को इंगरी में स्थित यह नाइयों की सुबह कुल देवी है ) 

• तिजारा का जैन मन्दिर

• याण्ड पोल हनुमान जी का मन्दिर ( यहाँ हनुमान जी की शयन मुद्रा में मूर्ति है )

• भर्तृहरि का मन्दिर ( सरिस्का ) शिव व नौगजा ( शांतिनाथ जैन मंदिर ) राजौरगढ़ ( अलवर )

3. बांसवाड़ा

 • ब्रह्मा जी का दूसरा मन्दिर व छिच माता का मन्दिर ( छिंच गाँव में )

• त्रिपुरा सुन्दरी / तुरताई माता का मन्दिर

• अधुना के मन्दिर घोटियां अम्बा का मन्दिर । मानगढ़ धाम - राजस्थान के अलावा गुजरात प्रदेश की सीमा से लगा हुआ , मानगढ़ धाम को ' राजस्थान का जलियाँवाला | बाग हत्याकाण्ड ' के नाम से भी जाना जाता है ।

4. बाराँ

 • भण्डदेवरा - रामगढ़ में है । इसे राजस्थान का मिनी खजुराहों / हाड़ौती का खजुराहो ' ' कहते हैं । 

• रामलक्ष्मण मन्दिर ( सीताबाड़ी )

• फूलदेवरा / मामा - भांजा का मन्दिर ( अटरू ) - काकँनी मन्दिर ( परवन नदी के तट पर ) 

• ब्रह्माणी माता मन्दिर / बरमाया का मंदिर / योगिनी का मंदिर / शैलाश्रेय सोरसन में जिसकी पीठ की पूजा की जाती है ।

5. बाड़मेर

• रणछोड़ जी का मन्दिर खेड़िया बाबा / किराड़ के मंदिर / भूरिया बाबा का मन्दिर - किराडू ( बाड़मेर ) में है । इसे राजस्थान का खजुराहो व मूर्तियों का खजाना ' कहा जाता है । इसका प्राचीन नाम किरातकूप हैं । भैरव जी व पार्श्वनाथ मन्दिर ( नाकोड़ा ) - मारीनाथ का मन्दिर - तिलवाड़ा में राज्य का प्राचीनतम यशु मेला । 

• सोमेश्वर मन्दिर- किराडू में है , जो गुर्जर प्रतिहार शैली का अन्तिम व सर्वाधिक भव्य मन्दिर है । ब्रह्माजी का तीसरा मन्दिर - आसोतरा / बालोतरा में खेताराम पुरोहित द्वारा निर्मित | विरात्रा माता का मन्दिर - चौहटन गाँव में भोपा जाति की कुल देवी , यह गाँव गाँद के लिए प्रसिद्ध है ।

•हल्देश्वर महादेव का मन्दिर - पीपलूद गाँव " राजस्थान का मिनी माउन्ट आबू " सिवाना | में है । खूबड़ माता का मन्दिर 

• गरीबनाथ का मन्दिर ( Immp .: राजस्थान का मेवानगर ( बाड़मेर ) पाश्वनाथ जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है )

6. भरतपुर

• गंगा माता का मन्दिर • लक्ष्मण जी का मन्दिर - पूरे राजस्थ में एकमात्र मंदिरलक्ष्मणजी भरतपुर के जाट वंश के कुल देवता है ।

• मदनमोहन जी / गोकुलचन्द जी का मन्दिर कांमा में )

• उषा मन्दिर ( डींग में ) 

7. भीलवाड़ा

• सवाई भोज_का मन्दिर - इसका मन्दिर आसीन्द में है । राजस्थान में गुर्जर जाति का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है 

• तिलस्वां महादेव का मन्दिर - यहाँ पर चर्म व कुष्ठ रोगियों को लाभ मिलता है । महानालेश्वर मंदिर ( मेनाल )

8. बीकानेर

• हैराम्ब गणपति मन्दिर सिंह पर सवार गणपति की एकमात्र मूर्ति कपिल मुनि का मन्दिर ( कोलायत में ) 

• अंडेश्वर व संडेश्वर का मन्दिर इसका निर्माण दो भाईयों भंडेश्वर व संडेश्वर ने करवाया । मूलतः यह पार्श्वनाथ जैन मन्दिर है । यह मन्दिर सैकड़ों मन देशी घी की नींव पर बना हुआ है । करणी माता का मन्दिर ( देशनोक ) · सुनारी देवी का मन्दिर 

• लक्ष्मीनारायण मन्दिर मुक्तिधाम ( मुकाम ) जांभोजी की समाधि

10. चित्तौड़गढ़

- कुम्भश्याम मन्दिर - इसका निर्माण राणा कुम्भा ने करवाया , जो मूलतः शिव मन्दिर था , बाद में वैष्णव मन्दिर बनाया गया । 

• सती बीस देवरा -11 वीं शताब्दी में निर्मित 27 देवरियों जो कि जैन मन्दिर के रूप में थी । 

• भंगार चवरी - प्राचीन काल में यह शान्तिनाथ का प्रसिद्ध जैन मन्दिर था जिसका राणा कुम्भा ने पुनः निर्माण करवाया । 

• मीरां मन्दिर

• समिद्धेश्वर मन्दिर - इसका निर्माण मालवा के राजा भोज द्वारा नागर शैली में करवाया गया । ये सभी मन्दिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है । मात कण्डियाँ मन्दिर - यह राश्मि गाँव | में बनास नदी के तट पर स्थित शिव का मन्दिर है , जिसे " मेवाड़ का हरिद्वार / मेवाड़ का प्रयाग " कहा जाता है । श्रीसांवलिया जी का मन्दिर - मण्डफिया गाँव ( चित्तौड़गढ़ ) में ।

11. चूरू

• बैंकटेश्वर तिरूपति बालाजी का मन्दिर - सुजानगढ़ में बैंकटेश्वर फाउण्डेशन ट्रस्ट के सोहनलाल जानोदिया द्वारा 1994 में डॉ . एम . नागराज वास्तुविद तथा डॉ . बेंकटाचार्य की देखरेख में बना ।

• सालासर बालाजी - आसोटा गाँव में हल चलाते समय एक किसान को दाड़ी - मूंछ युक्त हनुमान जी की मूर्ति मिली तथा मोहनदास नाम के व्यक्ति के द्वारा सुजानगढ़ तहसील के सालासर गाँव में इसका मन्दिर बनवाया गया । इसे सिद्ध हनुमंत पीठ भी कहते है

12. दौसा

 मेहन्दीपुर बालाजी - यह मन्दिर आगरा से जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग -11 पर स्थित है । इसकी मूर्ति पर्वत का ही अंग है तथा यहाँ भूत - प्रेत व बुरी आत्माओं से आराम मिलता है । 

14. डूंगरपुर

• हरि मन्दिर - साबला गाँव में हैं । यह संत मावजी की जन्म स्थली है । इस मन्दिर में निष्कलंक मावजी की मूर्ति है इनको लिखित वाणियाँ ' चौपड़ा ' कहलाती है ।

• देव सोमनाथ का मन्दिर - सोम नदी के तट पर तीन मंजिला शिव मन्दिर है इसका निर्माण 12 वीं शताब्दी में सीमेन्ट , चूने और मिट्टी के बिना केवल सफेद पत्थर से बना हुआ है ।

• गवरी बाई का मन्दिर - इसे ' बागड़ की मीरां ' कहते हैं । ( Imp : भवत्त कवि दुर्लभजी को राजस्थान का नृसिंह ' कहते हैं ) 

• विजय राज राजेश्वर मन्दिर ( यह गेवसागर झील पर बना हुआ है )

 16. जयपुर 

• कल्की मंदिर - संसार का पहला कल्की मंदिर 

• शिला देवी का मन्दिर - आमेर के किले में , इसे ' सुहाग मन्दिर ' भी कहते है । इसका । निर्माण मानसिंह प्रथम ने करवाया ।

• जगत शिरोमणि का मन्दिर - आमेर के महलों में , मानसिंह की रानी कनकावती ने अपने पुत्र । जगतसिंह की याद में कृष्ण की काले रंग की मूर्ति जिसकी पूजा मीरा बाई बचपन में करती थी अत : इसे ' पीरा मन्दिर ' भी कहते हैं । इसके निर्माण में मुगल शैली का प्रभाव दिखाई देता है । 

• गणेश जी का मन्दिर - मोती डूंगरी जयपुर , इसका निर्माण माधोसिंह प्रथम के काल में किया गया ।

• बिड़ला मन्दिर / लक्ष्मीनारायण मन्दिर - यह हिन्दू , ईसाई व मुस्लिम डिजाइन से बना हुआ राज्य का एक मात्र मन्दिर है ।

• गोविन्द देव जी का मन्दिर 

• ताड़केश्वर शिव मन्दिर सिद्धेश्वर शिव मन्दिर - राजस्थान का एक मात्र ऐसा मन्दिर जिसके द्वार जनता दर्शन हेतु वर्ष में एक बार शिवरात्रि के दिन खुलते हैं । यह मोती डूंगरी के महलों में स्थित है ।

•  बृहस्पति देव का मन्दिर - भारत का दूसरा व राजस्थान का प्रथम मन्दिर दुर्गापुरा में निर्माणाधीन है

17. जैसलमेर

• तनोट माता का मन्दिर - राजा केहर ने अपने पुत्र तणु के नाम पर नगर बसाकर तनोरिया देवी की स्थापना की । यह सेना के जवानों की देवी / थार की वैष्णों देवी , रूमाल वाली देवी के नाम से जानी जाती है । जिसकी पूजा जवान हो करते हैं । यहाँ पर 1965 में भारत पाक युद्ध में भारत की जीत का प्रतीक विजय स्तम्भ बना हुआ है । 

• भटियाणी माता का मन्दिर • बाबा रामदेव जी का मन्दिर ( रामदेवरा )

18. जालौर

•  सिरे का मन्दिर - यहाँ जालन्धर नाथ की तपोभूमि | थी तथा इस मन्दिर का निर्माण जोधपुर के राजा मानसिंह ने करवाया था । सन्धा माता का मन्दिर यहाँ पर राजस्थान का प्रथम रोप - वे बनाया गया है । 

• महोदरी माता का मन्दिर


19. झालावाड़

• घण्टियों का शहर ( झालरापाटन )

 • शीतलेश्वर मन्दिर - झालरापाटन में है । यह गुप्तकालीन मन्दिर राजस्थान का पहला मन्दिर ( पुराना ) जिस पर तिथि 689 अंकित है 

• सूर्य मन्दिर - झालरापाटन में | यह राजस्थान का सबसे प्राचीन सूर्य मन्दिरजिसमें सूर्य भगवान घुटने तक जूते पहने हुये है । सात सहेलियों का मन्दिर यह मन्दिर खजुराहो शैली में बना हुआ है तथा कर्नल जेम्स टॉड ने इसे ' चार भुजा मन्दिर कहा है ।

21. जोधपुर

•  33 करोड़ देवी - देवताओं की चादर / साल ( मण्डोर ) में है , तो 33 करोड़ देवी - देवताओं की नगरी माउण्ट आबू को कहते हैं । 

• सच्चियाँ माता का मन्दिर - ओसियाँ में , यह ओसवालों की कुल देवी है । यह मन्दिर प्रतिहार शैली ( औसियों में मंदिरों के समूह प्रतिहार वंश की देन है , जिसमें हरिहर मंदिर , महावीर स्वामी मंदिर , पीपलाद देवी का मंदिर है । ) में बना हुआ है । यहाँ पर सर्वाधिक पौराणिक देवी देवताओं की मूर्तियाँ मिली है । औसियां में महावीर स्वामी को समर्पित जैन मंदिर का निर्माण वत्सराज प्रतिहार के काल में हुआ बयासा का मन्दिर ( झाँवर डोली ) अधरशिला रामदेव मन्दिर जालौरिया का वास गाँव में इस मन्दिर का स्तम्भ जमीन से आधा इंच ऊपर उठा हुआ है । 

22. करौली

मनमोहन / मदन मोहन मंदिर

23. कोटा

 • मुकन्दरा का शिव मन्दिर राजस्थान का एकमात्र गुप्तकालीन मन्दिर है विभीषण जी का मन्दिर - कैथून में , यह भारत का एक मात्र विभीषण मन्दिर है ।

•  परनाथ महादेव मंदिर •

25. पाली

• चौमुखा जैन मन्दिर / रणकपुर जैन मंदिर ( महावीर जी को समर्पित ) - यह मन्दिर रणकपुर में मथाई नदी के किनारे कुम्भा के शासन काल में इसके मंत्री धरणक शाह द्वारा बनवाया गया । इसका शिल्पी देपाक था । इसमें आदिनाथ की चौमुख मूर्ति स्थापित है । यह देश के प्रमुख सूर्य मन्दिरों में से एक है । इसमें 1444 खम्भे है अत : इस मन्दिर को स्तम्भों का वन / त्रिलोक दीपक चतुर्मुख जिन प्रसाद आदि | नामों से जाना जाता है । इसके पास ही पार्श्वनाथ मन्दिर में अश्लील मूर्तियां लगी हुई है , इसीलिए इसे " वैश्याओं का मन्दिर " कहा जाता हा घाणेराव मन्दिर - इसके पास ही मूंछाला महावीर जी का व गजानन्द मन्दिर है , जिसमें रिद्धि - सिद्धी की आदमकद मूर्तियाँ स्थापित है । 

• स्वर्ण मन्दिर - फालना में हैं , जो जैन धर्म से संबंधित है , जिसे ' गेटवे ऑफ गोडवाड ' व ' मिनी मुंबई के नाम से जाना जाता है । 

26. प्रतापगढ़

 • गाँतमेश्वर मन्दिर ( अरणोद ) • भंवरमाता का मन्दिर ( छोटी सादड़ी )

27. राजसमंद

• श्रीनाथ जी का मन्दिर - इसका मन्दिर नाथद्वारा में है । इनकी मूर्ति औरंगजेब के समय में राजसिंह के शासनकाल में 1691 ई . में दामोदर तिलकायत द्वारा वृन्दावन से यहाँ लाई गई थी । इसका मन्दिर बनास नदी के तट पर स्थित है जो वैष्णव / वल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है । यहाँ के संगीत को हवेली संगीत ( गोविंदराज हवेली संगीत के गायक हैं । ) कहते हैं । नाथ जी को सात ध्वजा का स्वामी कहा जाता है । 

• द्वारिकाधीश का मन्दिर - इसका मन्दिर कांकरोली में राजसमन्द झील के पास 1670 ई . में राजसिंह के द्वारा बनवाया गया जो वल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है । 

29. सीकर

• हर्ष भैरू हर्षनाथ हर्ष महादेव का मन्दिर - हर्ष गिरी की पहाड़ियों में 10 वीं शताब्दी में विग्रहराज द्वितीय के काल में निर्मित । यहाँ पर ब्रह्मा व विष्णु को शिवलिंग का आदि व अन्त जानने हेतु परिक्रमा करते हुये दिखाया गया है

 • जीणमाता का मन्दिर ( रेवासा गाँव में )

• श्रीखाटूश्याम जी मन्दिर - दातारागढ़ तहसील के खाटू गाँव में श्याम जी कृष्ण जी के मन्दिर की नींव अभयसिंह जो कि मारवाड़ के राजा अजीतसिंह का पुत्र के द्वारा रखी गई । 

 • भैरूजी का मन्दिर ( रींगस ) 

• सुरणी धाम सूर्य मंदिर - सुराणी | गाँव श्रीमाधोपुर तहसील में उत्तर भारत की एकमात्र सूर्य पीठ है ' ओमल - सोमल मंदिर ( सलेदीपुर , सीकर . )

30. सिरोही

- गोड़वाड़ , सिरोही , आबू , मेवाड़ तथा गुजरात में जैन धर्म के एक तीर्थंकर के जीवंत स्वामी की परिचायक मूर्तियाँ सर्वाधिक संख्या में निर्मित हाई है यह जीवंत स्वामी तीर्थंकर महावीर स्वामी है । 14 जैन मन्दिरों का समूह मन्दिर ( देरी सोरी गाँव ) 

• वशिष्ठ जी का मन्दिर माउट - आबू में यहाँ वशिष्ट जी ने यज्ञ किया , जिसकी अग्नि में से चार व्यक्ति ( चौहान , चालुक्य , परभार , प्रतिहार ) उत्पन्न हुये जो आगे चार | Misal के सोलंकी कला के नमूने के रूप में यहाँ पाँच मन्दिरों के समूह है- 1. आदिनाथ मन्दिर- यह ऋषभदेव का मन्दिर है जिसका | राजपूत जाति बन गई ।

• अर्बुदा देवी / अबर देवी / अम्बिका देवी का मन्दिर देलवाड़ा के जैन मन्दिर - माउन्ट आबू में ।।वी से 13 वीं निर्माण 1031 ई . में चालुक्य राजा भीमसिंह के मंत्री विमल शाह ने करवाया अतः विमलशाही मन्दिर कहलाता है । इस मंदिर का शिल्पी कीर्तिधर था । कर्नल जेम्स टॉड ने इसके बारे में कहा कि , ' भारत देश के भवनों में ताजमहल के बाद यदि कोई भवन है , तो वह कोलिशाह का मन्दिर है ' ।

• . नेमीनाथ देवराणी - जेठाणी का मन्दिर - इसका निर्माण चालुक्य राजा धवल के मंत्री तेजपान के द्वारा खाया गया । इसमें 22 वें तीर्थकर नेमीनाथ की काले पत्थर की प्रतिमा स्थापित है । 

•  पित्तलहर / भीमशाह का मन्दिर - इसमें आदिनाथ की 108 मन पीतल की प्रतिमा स्थापित है । इसका निर्माण 15 वीं शताब्दी में भीमशाक द्वारा करवाया गया । 

•  खरतवसही मन्दिर , 

•  महावीर स्वामी का मन्दिर । अचलेश्वर महादेव का मन्दिर - माउन्ट आबू में , यहाँ पर शिवलिंग की जगह एक खड्डा है.जो ब्रहाखण्ड कहलाता है । यहाँ पर शिव के पैर का अगला है । बाजपा गणेशजी का मन्दिर कंवारी कन्या एवं रसिया बालम जी का मन्दिर ( माउन्ट आय ) मारणोश्वर महादेव ( सिरायणा गाँव में , यह देवड़ा राजाओं के कुत्न देवता का मन्दिर है

 32. टोंक

कल्याण जी का मन्दिर- यह डिग्गी ग्राम ( मालपुरा , टोंक ) में है । इसका निर्माण मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह के शासनकाल में हुआ । यह विष्णु के अवतार के रूप में निर्मित जाने जाते हैं , मुस्लिम इसे कलह पौर के रूप में पूजते हैं । यह कुष्ठ रोग निवारक हेतु प्रसिद्ध है । राजस्थान को एकमात्र विष्णु भगवान की ऐसी मूर्ति जिसके सुबह बाल्यावस्था , दोपहर में युवावस्था एवं रात्रि में वृद्धावस्था के रूप में दर्शन होते हैं । 

• देवनारायण जी का मन्दिर- यह मासी , बांडी व खारी नदी के संगम पर जोधपुरिया गाँव में है 

• गोकर्णेश्वर महादेव का मन्दिर - बीसलपुर यहाँ रावण ने अपने सिर को दस बार काट कर चढ़ाया

33. उदयपुर

 • अम्बिका देवी का मन्दिर - जगत ( उदयपुर ) में है , जिसका निर्माण महामारू शैली में किया गया । इसे " मेवाड़ का खजुराहों " कहा जाता | है । 

• एकलिंग जी का मन्दिर - एकलिंग जी का मंदिर लकुलिश संप्रदाय ' से संबंधित है । कैलाशपुरी में इसका निर्माण बप्पा रावल ने करवाया तथा वर्तमान स्वरूप महाराजा रायमल ने दिया । इसमें शिवजी की काले पत्थर से निर्मित चौमुखी मूर्ति है । यह उदयपुर राजाओं के कुल देवता इष्टदेव है । इसी के पास में लकुलीश मन्दिर है । " सास - बह का मन्दिर सहस्त्रबाहु का मन्दिर - नागदा में 10 वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर विष्णु को समर्पित है । 

• जगदीश मन्दिर - पिछोला झील के किनारे जगतसिंह द्वारा निर्मित विष्णु भगवान का मन्दिर जिसे " सपनों से बना मन्दिर " कहते हैं । ऋषभदेव का मन्दिर / केसरिया नाथ जी / काला जी का मन्दिर - धूलेव गाँव में इसकी पूजा जैन , आदिवासी व वैष्णव सम्प्रदायों के लोग समान रूप से करते हैं । तेली का मन्दिर ( नाल गाँव ) • घाटेश्वर मंदिर ( बाडोली में ) ।