Rajasthan ka ekikaran | राजस्थान का एकीकरण

राजस्थान का एकीकरण 

Rajasthan ka ekikaran



19 - रियासते इन्हें सैल्यूट स्टेट (इन्हे अंग्रेजो से तोपों की सलामी प्राप्त करने का अधिकार था )
      कहा जाता था 
3 - ठिकाने थे जिन्हें  नॉन सैल्यूट स्टेट (इन्हे अंग्रेजो से तोपों की सलामी प्राप्त करने का अधिकार 
      नहीं था 
     


  कुशलगढ़ का ठिकाना तात्कालिक बांसवाड़ा जिले में
  लावा राजस्थान के एकीकरण के समय यह जयपुर रियासत में शामिल था वर्तमान में टोक  में 
  मिल है लावा ठिकाना क्षेत्रफल के आधार पर सबसे छोटा दिखाना था  
  नीमराणा  तात्कालिक अलवर में जिले में 
1-  केंद्र शासित प्रदेश था अजमेर मेरवाड़ा

  राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में हुआ  


राजस्थान के एकीकरण में 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे 

मेवाड़- सबसे प्राचीन रियासत

झालावाड़- सबसे नवीन रियासत 

जोधपुर -सबसे बड़ी रियासत 

शाहपुरा (भीलवाड़ा)-सबसे छोटी रियासत के राजस्थान के एकमात्र रियासत थी जहां के शासक 
                                दर्शन देव ने 14 अगस्त 1947 को उत्तरदाई शासन की स्थापना की

 जैसलमेर - 1947 में राजस्थान की एकमात्र वैधानिक सुधार में उत्तरदाई सरकार स्थापित करने की 
                    दिशा में कोई प्रयास नहीं किया 

टोंक- राजस्थान के स्वतंत्र  होने के समय यह एकमात्र ऐसी रियासत थी जिसका शासक मुसलमान था

टोक -मुसलमान रियासत का संस्थापक आमिर खान पिंडारी था

धौलपुर ,भरतपुर -18वीं शताब्दी के मध्य में जाट  वंश का इन रियासतों पर आधिपत्य था

 एकीकरण के चरण

(1) मत्स्य संघ  (18 मार्च 1948)

प्रथम चरण:-


उद्घाटन स्थान:– लोहागढ़ दुर्ग (भरतपुर)
मत्स्य संघ:-      अलवर ,भरतपुर, धौलपुर,  करौली  , ठिकाना  नीमराना को मिलाकर बनाया गया

राजधानी: – विराटनगर (अलवर)

मत्स्य संघ नाम दिया : – कन्हैयालाल माणिक्यलाल (के एस) मुंशी
  

एन .वी गाडगिल:-    मत्स्य संघ के उद्घाटनकर्ता 

अलवर(विराट नगर ):-       मत्स्य संघ की राजधानी 

राजप्रमुख  :- उदयभान सिंह (धौलपुर शासक)

प्रधानमंत्री :-  शोभाराम कुमावत

उपराजप्रमुख :– गणेशपाल (करोली)

  (2) पूर्वी  राजस्थान राजस्थान संघ (25 मार्च 1948)

 द्वितीय चरण:-  

पूर्वी राजस्थान:-  इस चरण में 9 रियासतें  कोटा ,बूंदी ,झालावाड़ ,बांसवाड़ा, टोक , प्रतापगढ़, शाहपुरा 
                           किशनगढ़,डूंगरपुर , वह 1 ठिकाना  कुशलगढ़ को मिलाकर बनाया गया था 

एनवी गॉड गिल:-  पूर्व राजस्थान संघ के उद्घाटन 

उद्घाटनकर्ता :–  एन. वी. गोडविल

राजप्रमुख :–  महाराव भीमसिंह (कोटा)भीमसिंह हाडोती संघ का निर्माण करना चाहते थे

उपराजप्रमुख: –  बहादुरसिंह (बूंदी)

प्रधानमंत्री :–  गोकुल लाल असावा

राजधानी:–  कोटा पूर्व राजस्थान संघ की  राजधानी

चंद्रवीर सिंह:-   बांसवाड़ा के शासक अपने राज्य के द्वितीय चरण के में विलय के समय कहा
                          (मैं अपने डेथ वारंट (मृत्यु दस्तावेज )हस्ताक्षर कर रहा हूं) 

(3) संयुक्त राजस्थान( 18 अप्रैल 1948 ) 

तृतीय चरण:-

रियासत :– उदयपुर (पूर्व राजस्थान में उदयपुर का विलय कर संयुक्त राजस्थान नाम दिया)

उद्घाटनकर्ता :– जवाहर लाल नेहरू

राजप्रमुख:– भूपालसिंह (उदयपुर)

उपराजप्रमुख :– भीमसिंह (कोटा)

प्रधानमंत्री :– माणिक्य लाल वर्मा

राजधानी :– उदयपुर

(4) वृहत राजस्थान( 30 मार्च 1949)

चतुर्थ चरण:-



रियासते: – जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर 19 जुलाई, 1948 को केंद्रीय सरकार के आदेश पर 
                  लावा ठिकाने को जयपुर राज्य में मिला लिया

उद्घाटनकर्ता: – सरदार पटेल

राजप्रमुख :– सवाई मानसिंह द्वितीय (जयपुर के महाराजा वृहत राजस्थान के राज्य प्रमुख आजीवन)

महाराज प्रमुख: – भूपाल सिंह (उदयपुर महाराणा )

उपराजप्रमुख: – भीम सिंह (कोटा)

प्रधानमंत्री: – प. हीरा लाल शास्त्री

राजधानी: – जयपुर को राजस्थान की राजधानी श्री पंडित सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में गठित 
                   समिति की सिफारिश पर बनाया गया था


(5) संयुक्त वृहद राजस्थान (15 मई में 1949 )

पंचम चरण:-


वृहत राजस्थान में मत्स्य संघ को मिलाकर इस संघ का निर्माण किया गया 

राजधानी :- जयपुर वृहद राजस्थान सघ की राजधानी 

राजप्रमुख :- सवाई मानसिंह द्वितीय 

प्रधानमंत्री:-  पंडित हीरालाल शास्त्री

महाराज प्रमुख :- भूपाल सिंह (उदयपुर महाराणा )
 

(6) राजस्थान संघ (26 जनवरी 1950)

 छटा चरण:-

 राजस्थान :-   सिरोही जिले का कुछ भाग सहित व्रहत  राजस्थान में और देलवाड़ा  आबू  क्षेत्र मुंबई 
                         प्रांत को सौप कर राजस्थान संघ बनाकर इसे ख राज्यों में स्थान दिया गया 

महाराज प्रमुख :- भूपाल सिंह (उदयपुर महाराणा )

राजप्रमुख :- सवाई मानसिंह द्वितीय 

26 जनवरी 1950:-  अपने निर्माण के समय राजस्थान द्वितीय श्रेणी पार्टी का राज्य बना था 


(7)पुनर्गठित आधुनिक राजस्थान 1 नवंबर 1956 

सप्तम चरण 

रियासत:- अजमेर केंद्र शासित प्रदेश , आबू, देलवाड़ा
इसी समय राजप्रमुख पद समापत किया गया
राज्यपाल का पद सृजित किया गया

केंद्र शासित सिरोही का पूरा भाग अजमेर मेरवाड़ा फैजल अली समिति की सिफारिश पर सुनेल टप्पा (मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले का भाग) को राजस्थान में मिलाया गया
तथा कोटा का एक भाग सिरोंज क्षेत्र मध्यप्रदेश को दिया गया 

जयपुर - राजस्थान की राजधानी( सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर)

5 जुलाई 1955 -  महाराष्ट्र प्रमुख पद पर महाराणा भूपाल सिंह के निधन के बाद समाप्त हो गया था

1 नवंबर 1956 -राजस्थान में राजप्रमुख  का पद समाप्त कर दिया गया था 

गुरुमुख निहालसिंह- राजस्थान के प्रथम राज्यपाल 

मुख्य तथ्य:-

 धौलपुर रियासत का विलय :- 14 अगस्त 1947 को भारत में विलय का स्वीकार कर लिया

धौलपुर  नरेश उदय मान सिंह अधिमिलन पर हस्ताक्षर करने वाला अंतिम शासक थे

भीम सिंह:-  राजपूताना  की रियासतों को एक इकाई के रुप में संगठित करने का कार्य सर्वप्रथम 
                  कोटा महाराव भीम सिंह ने किया 

एजेंट टू गवर्नर जनरल (AGG):-  ब्रिटिश सता  के अधीन आने वाली रियासतों के मुखिया |

विलियम बैंटिक:- भारत के गवर्नर जनरल इन्होंने 1832 इसी में अजमेर में एक ही चीज का
                             कार्य स्थापित किया
मिस्टर लॉकेट :- प्रथम AGG 

जॉर्ज पेट्रिक लॉरेंस:- 18 57 के विरोध के समय राजस्थान में AGG थे 

अजमेर :- राजस्थान में AGG का प्रधान कार्यालय, सभी रियासतें इसके नियंत्रण में थी

माउंट आबू (सिरोही):- गर्मी मैं AGG का प्रधान कार्यालय 

हनुवंतसिंह :- मारवाड़ नरेश ,इन्होंने अपनी रियासत को पाकिस्तान में मिलाना चाहा 

मेवाड़ :- भारतीय संविधान परिषद में यहां से टी .वी. राघवाचार्य और माणिक्य लाल वर्मा को भेजा गया 

प्रिवीपर्स:- देसी रियासतों के शासकों को भारत संघ में रियासतों में विलयकरण के बाद दिया 
                जाने वाला मासिक भत्ता जो बाद में बंद कर दिया गया 

रियासती विभाग:- रियासतों की समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने 27 जून 1948 को गठित 
4 रियासतें:-  15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ उस समय डूंगरपुर ,अलवर, भरतपुर ,जोधपुर 
                    चार रियासतों के नरेश ने  स्वतंत्र रहने की घोषणा की |

सी . वेंकटचारी :- हीरालाल शास्त्री की सरकार के पतन के बाद I.C.S को राज्य का 
                          मुख्यमंत्री बनाया गया 

अजमेर:-  राजस्थान का वह जिला जो स्वतंत्रता से पूर्व सीधे ही ब्रिटिश शासन के अधिकार में था 
 
 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

please do not enter any spam link in the comment box.