राजस्थान की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं


78 ई - शक संवत का प्रारंभ हुआ

551 - वासुदेव चौहान ने  चौहान वंश की स्थापना की

622 - हिजरी संवत् का प्रारम्भ हुआ 


1155 - राव जैसल ने  जैसलमेर बसाया ,  ये राजस्थान में सबसे 
           अधिक भुजाओं वाला किला है 

1191-  तेहरान का  प्रथम युद्ध ( तेहरान के प्रथम  युद्ध में पृथ्वीराज ने थानेश्वर के
           निकट तेहरान के मैदान  में मोहम्मद गौरी को  पराजित किया 

1192 - तराइन का दूसरा युद्ध ( जिसमें पृथ्वीराज मोहम्मद गौरी से पराजित हुआ,
           तराइन का मैदान करनाल हरियाणा में है )


1206 -दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई( कुतुबुद्दीन ऐबक का राज्यारोहण )

1225 -ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का निधन हुआ 

1437 -मोहम्मद खिलजी महाराणा कुंभा मेवाड़ में सारंगपुर का युद्ध हुआ 

1449 - महाराणा कुंभा का विजय स्तंभ /कीर्ति स्तंभ बनकर पूर्ण हुआ इसे मूर्तियों का 
          शब्दकोश  विष्णु स्तंभ एवं नोखड़ा महल भी कहा जाता है 

1451 - विश्नोई मत के प्रवर्तक जांभोजी का जन्म हुआ

1527 - महाराणा सांगा व बाबर के मध्य खानवा के मैदान में खानवा का युद्ध हुआ 

1540 - प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ दुर्ग के बादल महल में हुआ 

1549- राजस्थान के प्रसिद्ध कवि पृथ्वीराज का जन्म हुआ

1570 -अकबर ने नागौर में दरबार का आयोजन किया 

1576 -महाराणा प्रताप के मुगल सेनापति मानसिंह कछावा शासक के मध्य हल्दीघाटी का युद्ध हुआ

1597 -महाराणा प्रताप की मृत्यु हुई 

1616 -अंग्रेज बादशाह सर जेम्स का राजदूत टॉमस रो अजमेर में जहांगीर के दरबार में 
           व्यापारिक संधि हेतु पहुंचा 
 
1644 -मारवाड़ के शासक अमर सिंह राठौड़ में बीकानेर के शासक करण सिंह के मध्य मतीरे को
         लेकर युद्ध हुआ मतीरे की राड़ हुआ 

1659- 14 मार्च को औरंगजेब व दारा शिकोह  के मध्य दौराई (अजमेर )का युद्ध हुआ इसमें
            दारा शिकोह पराजित हुआ 

1727 -18 नवंबर को जयपुर नगर की नीव  सवाई जयसिंह ने रखी

1734 -17 जुलाई को मराठा का मुकाबला करने के लिए मेवाड़ की सीमा पर हुरडा सम्मेलन
                

1742 -सवाई जयसिंह ने 4 जुलाई 1742 को जयपुर में अश्वमेघ यज्ञ किया यह अश्वमेघ यज्ञ कराने वाला 
           अंतिम हिंदू राजा थे

1787- लालसोट के निकट तूंगा के युद्ध में जोधपुर व  जयपुर की सम्मिलित सेना ने मराठों को हराया 

1799 -सवाई प्रताप सिंह ने हवा महल की स्थापना करवाई इसे राजस्थान का एयर दुर्ग कहते हैं
         हवा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ता थे आमेर में 5 मंजिला शरद मंदिर, रतन मंदिर, विचित्र       
        मंदिर, प्रकाश मंदिर, और हवा मंदिर 

1834 -जैसलमेर में बीकानेर की सेनाओं के मध्य  बासणी की लड़ाई हुई 

1857 राजस्थान निवासी अमरचंद बांठिया को 1857 के विरोध में अंग्रेजों ने सर्वप्रथम फांसी पर लटका 


1865- स्वामी दयानंद राजस्थान में सर्वप्रथम करौली के राजकीय अतिथि के रुप में आए 

1881- स्वामी दयानंद सरस्वती का राजस्थान में दूसरी बार आगमन भरतपुर में 
           हुआ चित्तौड़ में कविराज श्यामलदास ने  उनका स्वागत किया 

1882 - उदयपुर के शासक महाराणा सज्जन सिंह के समय स्वामी दयानंद सरस्वती ने उदयपुर में  आर्य
           समाज आर्य धर्म का प्रचार किया अगस्त 1882 को स्वामी दयानंद दोबारा उदयपुर पहुंचे उदयपुर
           में स्वामी जी ने हिंदी भाषा में सत्यार्थ प्रकाश के संस्करण की भूमिका लिखी वह इस ग्रंथ को  
           प्रकाशित किया यह ग्रंथ आर्य समाज की बाइबिल कहा जाता है 

1883 -उदयपुर में फरवरी 1883 में स्वामी जी के सात्रिध्य में परोपकारिणी सभा की स्थापना हुई कालांतर 
         में मेवाड़ में विष्णु लाल पांडेय ने आर्य समाज की शाखा की स्थापना की 1883 में स्वामी जी
         जोधपुर गए दयानंद सरस्वती ने भरी सभा में वेश्या गमन के दोष बताएं और महाराजा जसवंत 
          सिंह  की नन्हीजान  नामक वेश्या के प्रति आसक्ति पर उन्हें फटकार लगाई अजमेर में ही  

          1883 में इनका देहांत हो गया

1903 - केसरी सिंह बारहठ द्वारा लिखित साहित्य कृति चेतावनी रा चूंगट्या को पढ़कर उदयपुर के 
            महाराणा दिल्ली जाकर भी दिल्ली दरबार में उपस्थित नहीं हुए 

1928 -राजस्थान में प्रथम महिला डॉक्टर पार्वती गहलोत की नियुक्ति हुई 

1939 -मारवाड़ मरुधर मित्र सभा स्थापित हुई 

1946सागरमल गोपा पर जेल में मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी गई 

1950 - राजस्थान बाल धूम्रपान निषेध कानून लागू किया गया राजस्थान सशस्त्र बल का गठन किया 
            गया

1956 - 30 मार्च 1956 राजस्थान की स्थापना