आमेर का कच्छावा राजवंश पार्ट 2
सवाई जयसिंह की मृत्यु (1746 ) के बाद उसका जेष्ठ पुत्र ईश्वरी सिंह शासक बना 1748 में मराठों के सहयोग से माधव सिंह (चंद्रकवर पुत्र )ने ईश्वर सिंह के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया और बगरू नामक स्थान पर दोनों के बीच युद्ध हुआ जिसमें ईश्वर सिंह की पराजय हुई
जब मल्हारराव होलकर ने बकाया वसूली के लिए सेना सहित जयपुर राज्य में प्रवेश किया तो मराठों के अपमान से बचने के लिए ईश्वर सिंह ने अपने आप को काला नाग से डसवाकर आत्महत्या कर ली
ईश्वरी सिंह ने ईसर लाट या सरगासूली का निर्माण करवाया
18 नवंबर 1756 में मल्हार राव होलकर और माधवराव के बीज कंकोड के मैदान में युद्ध हुआ जिसमें
माधव सिंह की विजय हुई
माधो सिंह ने रणथंबोर के निकट जयपुर नगर के आधार पर ही एक नया नगर बसाया जो उसी के नाम
पर सवाई माधवपुर कहलाता है
सवाई प्रताप सिंह और महादजी सिंधिया के बीच 28 जुलाई 1787 को तुंगा दोसा का युद्ध हुआ जिसमें प्रताप सिंह की विजय हुई
इसके बाद 20 जून 1789 को पाटन का युद्ध हुआ जिसने प्रताप सिंह की पराजय हुई
सवाई प्रताप सिंह स्वाभिमानी और साहसी नरेश के साथ साथ संगीतप्रेमी भी था उसे सुरा सुंदरी का विशेष शौक था
प्रताप सिंह के दरबार में 22 कवि 22 ज्योतिषी 22 संगीतज्ञ थे इसमें अली भगवान प्रसिद्ध स्वरकार प्रताप सिंह की 'बाईसी' प्रसिद्ध है
इस के दरबार में मनीराम प्रसिद्ध कवि था जिसने प्रताप चंद्रिका की रचना की
14 मार्च 1807 मारवाड़ के शासक मानसिंह और श्री जगत सिंह के बीच कृष्णा कुमारी (महाराणा भीमसिंह के पुत्री )के विवाह को लेकर गिंगोली का युद्ध (परबतसर का युद्ध) हुआ जिसमें जगत सिंह की विजय हुई
2 अप्रैल 1818 को अंग्रेजो व जयपुर के बीच संधि हुई जिसके तहत जयपुर राज्य ने अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर ली
सवाई जगत सिंह ने अपनी एक रखैल को आघा जयपुर का राज्य प्रदान किया था
सवाई जगत सिंह की प्रेमिका का नाम रसक था इसने रसकपूर राज्य बनाया
सवाई रामसिंह द्वितीय को आधुनिक जयपुर का निर्माता कहा जाता है
उन्होंने जयपुर में एक मेडिकल कॉलेज खोला और संस्कृत कॉलेज भी खोला
इन्हीं के समय जयपुर में सती प्रथा को अवैध घोषित किया गया इन्होंने राज्य के लड़के और लड़कियों के व्यापार को अवैध घोषित किया
इन्होंने अकाल राहत के तहत रामनिवास बाग का निर्माण करवाया
इन्होंने 1876 में प्रिंस एल्बर्ट के जयपुर आगमन पर जयपुर को गुलाबी (गेरवा) रंग से रंगवाया था
राम सिंह ने जयपुर में राम प्रकाश नामक एक नाटक शाला बनवाई
उन्होंने मौज मंदिर का निर्माण करवाया (संस्कृत विद्वानों) की चर्चा के लिए
सवाई माधोसिंह द्वितीय जब 1902 में इंग्लैंड की यात्रा पर गया इसके लिए एक जहाज किराए पर लिया जिसका नाम था ओलंपिया था
सवाई माधव सिंह अपने मेहमानों के उपयोग में के लिए मुबारक महल निर्माण करवाया था जो नगर राज प्रसाद में सबसे नया है
यह महल मुगल राजपूत और अंग्रेजी स्थापत्य शैलियों का मिश्रित रूप है जो कि जयपुर के महलों में अपने ढंग का एक ही है
उन्होंने नाहरगढ़ में एक जैसे नौ महलों का निर्माण कराया था
उसने चाकसू के निकट शील की डूंगरी में शीतला माता का मंदिर बनवाया सवाई
माधव सिंह ने मिर्जा इस्माइल को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया था
30 मार्च 1949 को जयपुर रियासत को सवाई मानसिंह द्वितीय ने सहित राजस्थान में सम्मिलित कर दिया और उस नई इकाई का नाम अन्य रियासतों के विलय (जोधपुर ,बीकानेर ,जैसलमेर) के बाद व्रहत राजस्थान रखा गया
सवाई मानसिंह द्वितीय को राजप्रमुख और मेवाड़ महाराणा भूपाल सिंह को महाराज प्रमुख बनाया गया हीरालाल शास्त्री को मुख्यमंत्री बनाया गया और जयपुर को राजधानी बनाया गया
सवाई मानसिंह द्वितीय इस पद पर 31 अक्टूबर 1956 तक रहे इसके बाद राज प्रमुख पद समाप्त कर राज्यपाल का पद बना दिया गया
आमेर का कच्छावा राजवंश पार्ट1
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