चौहान राजवंश ( सपादलक्ष या शाकंभरी के चौहान)
कुछ लेखक बताते हैं कि चौहान वंश की उत्पत्ति अग्नि से हुई है
वासुदेव चौहान वंश का संस्थापक था 551 ई . में की
शाकम्भरी देवी की पूजा करते थे (भारत की सबसे पुरानी माता ) तीर्थो की नानी (शाकम्भरी देवी ) देवयानी तीर्थो
चौहान प्रारंभ में जांगल देश में निवास करते थे और उसके बाद सांभर झील के आसपास के क्षेत्र में बस गए जोकि सपादलक्ष कहलाया था
इस स्थान पर बसने के कारण ही यह सपादलक्ष के चौहान कहलाए सांभर झील के आसपास के क्षेत्र में इनका राज्य होने के कारण यह शाकंभरी कहलाए
शाकंभरी के चौहान का मूल पुरुष वासुदेव था वासुदेव चौहान वंश का संस्थापक था जिसने 551 ईसवी के आसपास सांभर क्षेत्र में अपना राज्य स्थापित किया सपादलक्ष के चौहानों की प्रारंभिक राजधानी अहिछत्रपुर थी
वासुदेव के वंश में आगे चलकर पहला बड़ा प्रतापी शासक पृथ्वीराज प्रथम हुआ जिसका 1105 वीं का शिलालेख जीण माता के मंदिर से प्राप्त होता है
पृथ्वीराज प्रथम की मृत्यु के बाद उनका पुत्र अजयराज 1105 ई. में शासक बना (1105- 1133 )
अजय राज ने अपनी नई राजधानी के तौर पर अजमेर(1113 ई .में. ) बसाया जोकि उसी के नाम पर अजयमेरु कहलाया
अजय राज ने बिठली पहाड़ी पर गढ़बिठली दुर्ग (अरावली का अरमान , राजस्थान की कुंजी, तारागढ़ , जिब्लाट) भी कहा जाता है
अजयराज के बाद उसका पुत्र शासक अर्णोराज शासक बना
अर्णोराज ने पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया
अर्णोराज ने आनासागर झील का निर्माण कराया
अर्णोराज की हत्या उसके ही पुत्र जगदेव ने कर दी ओर वह स्वयं शासक बन गया
विग्रहराज चतुर्थ को विसलदेव . कवि बान्धव भी कहा जाता है
विग्रहराज चतुर्थ(वीसलदेव) ने तौमर (तंवर) राजपूतों को पराजित करके दिल्ली पर अधिकार किया था
उसने गजनी के शासक खुसरो शाह को पराजित किया था जिसका उल्लेख दिल्ली शिवालिक स्तंभ लेख में है
विग्रहराज चतुर्थ ने हरिकेलि नामक नाटक की रचना की थी और
उस के दरबारी कवि सोमदेव ने ललित विग्रह नामक ग्रंथ की रचना की थी था विसलदेव रासो की रचना नरपति नाल्ह
विग्रहराज चतुर्थ(वीसलदेव) ने अजमेर में संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया जिसे बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़कर मस्जिद का रूप दिया जो आजकल अढाई दिन का झोपड़ा कहलाता है ,
अढाई दिन का झोपड़ा में पंजाब शाह का मेला भरता है
सोमेश्वर की मृत्यु (1177 )के बाद उसका अल्प व्यस्क पुत्र पृथ्वीराज तृतीय शासक बना जो कि भारतीय इतिहास में पृथ्वीराज चौहान के नाम से जाना जाता है
पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 ई. में हुआ
पृथ्वीराज चौहान को दल्पंगुल , राव पितोहरा भी कहते है
उसकी माता कर्पूरी देवी ने कुछ समय तक उसके संरक्षिका के तौर पर शासन किया
1178 ई . में पृथ्वीराज ने शासन-सत्ता अपने हाथ में ले ली
पृथ्वीराज ने चंदेल शासक परमद्रिदेव की राजधानी महोबा मध्य प्रदेश 1182 में आगमन किया था इस युद्ध में परमद्रिदेव के सेनापति आल्हा उदल ने अद्भुत वीरता का प्रदर्शन किया था और लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए हैं उनकी वीर गाथाएं बुंदेलखंड मध्य प्रदेश में आज भी लोग गीतों के रूप में प्रचलित है
पति राज ने कन्नौज के शासक जयचंद गढ़वाल की पुत्री संयोगीता का अपहरण करके अजमेर आया था और वहीं पर उसके साथ विवाह किया
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच (1191) में तेहरान (हरियाणा )का प्रथम युद्ध हुआ जिसमें मोहम्मद गौरी की पराजय हुई और उसका सेनानायक कुतुबुद्दीन ऐबक उसे घायल अवस्था में युद्ध के मैदान से बाहर ले जाने में सफल रहा ।
मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच तेहरान का द्वितीय युद्ध (1192) में हुआ जिस में पृथ्वीराज की पराजय हुई कुछ इतिहासकारों के अनुसार सिरका के निकट उसे गिरफ्तार कर लिया गया और वहीं पर उसकी हत्या कर दी गई
पृथ्वीराज के दरबारी कवि चंदबरदाई द्वारा लिखित ग्रंथ पृथ्वीराज रासो में एक उल्लेख है जिसके अनुसार चंदबरदाई वह पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर गोरी गजनी ले गया था जहां पर बाद में मोहम्मद गौरी की पृथ्वीराज के हाथों मृत्यु हुई और बाद में पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई की हत्या कर दी गई
मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज के पुत्र गोविंद राज को अपनी आधीनता में अजमेर का शासन सौंपा था और उसने गौरी को वार्षिक कर देना स्वीकार कर लिया था
कुतुबुद्दीन ऐबक ने हरिराज को पराजित कर के अजमेर से चौहानों की सत्ता सदा के लिए समाप्त कर दी और उसने संस्कृत पाठशाला को तुड़वा कर मस्जिद का रूप दिया जो कि अढाई दिन के झोपड़े के नाम से जाना जाता है यह राजस्थान की पहली मस्जिद है
शाकंभरी के चौहानों का वंशक्रम
वासुदेव
प्रथ्वीराज 1st
अजय राज
अर्णोराज (अन्ना जी)
जगदेव
विग्रहराज (वीसलदेव)
पृथ्वीराज 2nd
सोमेश्वर
पृथ्वीराज 3rd
गोविंद राज
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