राजस्थान के रणथंभौर  के चौहान 


चौहानों की रणथंभौर  शाखा का संस्थापक गोविंद राज था

वीर नारायण के शासनकाल में दिल्ली के सुल्तान इल्तुतामिश रणथंभौर पर आक्रमण किया था जिसे पराजित होकर लौटना पड़ा

वागभट्ट  के समय दिल्ली के सुल्तान नसीरुद्दीन मोहम्मद ने भी रणथम्भोर पर आक्रमण किया परंतु उसे भी पराजित होकर लौटना पड़ा

वागभट्ट की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जैत्रसिंह रणथंभोर का शासक बना बाद में उसने अपने जीवनकाल में ही अपने पुत्र  हम्मीर  को शासन सत्ता सौंप दीहम्मीर ने अपने पिता के 32 वर्षों के शासनकाल की स्मृति में रणथंभौर में 32 खंभों की छतरी का निर्माण करवाया हम्मीर रणथंबोर के चौहान में सबसे बड़ा प्रतापी शासक था जो कि रणथंभौर के इतिहास में अपने हठ के लिए जाना जाता था
हम्मीर के बारे में जानकारी जोधा राज द्वारा लिखित
हम्मीर रासो और चंद्रशेखर द्वारा लिखित हम्मीर हठ और अमीर खुसरो द्वारा लिखित खुदाइन - उल-फुतुह से मिलती  हैं हम्मीर देव के शासनकाल में सुल्तान जलालुद्दीन ने 1290 और 1295 में दो बार रणथंभौर पर आक्रमण किए थे

अलाउद्दीन खिलजी ने उलूग खां नुसरत खान को 1301 में
रणथंभौर  पर आक्रमण करने के लिए भेजा था

इस आक्रमण के दौरान नुसरत खान की मृत्यु हुई थी

अलाउद्दीन खिलजी के
रणथंभौर पर आक्रमण का तात्कालिक कारण हमीर द्वारा अलाउद्दीन खिलजी के भगोड़े मोहम्मद शाह को शरण देना था

रणमल और प्रतिपाल ने हम्मीर देव के साथ  विश्वासघात किया था
हम्मीर देव की रानी  रंगदेवी ने सभी राजपूत स्त्रियों के साथ जोहर किया था 1301 में राजपूतों के इतिहास में पहला साखा था

अलाउद्दीन खिलजी का 1301 में  रणथंभौर पर अधिकार हो गया 


जालोर के सोनगरा चौहान

चौहान राजवंश ( सपादलक्ष या शाकंभरी के चौहान)