बीकानेर के राठौर

बीका  को करणीमाता के आशीर्वाद से छोटे छोटे राज्यों पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिली थी और 23 वर्षो के अथक परिश्रम के बाद एक विस्त्रत भू- भाग पर अधिकार कर  बीकानेर राज्य की स्थपना  की

बिका ने 1488 में बीकानेर नामक एक नए नगर की स्थापना की और उसे अपनी राजघानी बनाया

करणीमाता बीकानेर के राठोरो  की कुल देवी मानी जाती है

राव लूणकारण ने 1513 में नागोर के शासक मुहम्मद खां को पराजित किया था

31 मार्च 1526 ई. को नारनोल के नवाब (हरियाणा ) अबीमिरा और राव लुणकारण के बीच ढोसी का युद्ध हुआ जिसमें भाटी और जोहियों के तटस्थ रहने की वजह से लुणकारण युद्ध में मारा गया

कर्मचंद वान्शोत्कीर्तक्म काव्यम में राव लुणकारण की दानशीलता की तुलना महाभारत के कर्ण के साथ की है

बिठा  सुजा द्वारा लिखित राव जेतासी रो छन्द में उसे कलयुग का कर्ण कहा जाता है 

राव जेतसी कुंपा और जेता (मालदेव के सेनापति ) के बीच 1541 पहेवा का युद्ध हुआ जिसमे जेतसी युद्ध में मारा गया और बीकानेर पर मालदेव का अधिकार

रायमल के छोटे भाई प्रथ्वीराज ने वेलिक्र्सन रुक्मनी री नामक ग्रन्थ की रचना की थी

रायसिंह को अपने पिता के समय अकबर ने जोधपुर का प्रशासक नियुक्त किया गया था

1574 में रायसिंह को राव चांदसेन  के विरुद्ध सिवाना के दुर्ग का घेरा डालने के लिए भेजा था

रायसिंह ने गुजरात के विद्रोही हाकिम मिर्जा की हत्या की थी


रायसिंह ने जालोर के ताजखां  और सिरोही के सुरताण  देवड़ा को अकबर की अधीनता स्वीकार करवाई थी

अकबर ने अपने ससुर नासिर खां के मामले  को लेकर भटनेर रायसिंह से लेकर उसके पुत्र दलपत को सोप दिया था

रायसिंह ने जूनागढ़ का निर्माण करवाया था

मुंशी देवी प्रसाद ने रायसिंह को राजपूताने का करण कहा है

जब तुरसम खां ने सिरोही के आक्रमण के समय जैन मंदिरों की धातु मूर्तियों को लेकर गलवाने  का प्रयत्न किया तो  रायसिंह  ने  बादशाह की अनुमति से उन्ही बीकानेर पहुंच दिया था जो की आज भी बीकानेर के एक जैन मंदिर के तहखाने में सुरक्षित है

महाराजा कर्णसिंह को तत्कालीन समय के शासकं जांगलघर बादशाह के नाम से पुकारते थे

कर्णसिंह ने कई विद्वानों   की सहायता से साहित्य कल्पदुम की रचना की उसी के आशय में गंगानंद मैथिल ने कर्णभूषण और काव्य डाकिनी ग्रन्थो की रचना की

अनुप सिंह के समय में श्रीनाथ सूरी के पुत्र वैधनाथ ने ज्योत्प्तिसर मणिराम ने अनुप व्यवहार सागर और अनूप विलास  नामक ग्रंथो की रचना की थी

अनन्त भट्ट  ने तीर्थ रत्नाकर और उदयचंद ने पांडित्य दर्पण की रचना की थी

अनूप सिंह के दरबारी संगीताचार्य जनादर्न भट्ट के पुत्र भावभट्ट ने संगीत अनुपंकुश विलास और अनूप संगीत रत्नाकर नामक संगीत ग्रंथो की रचना की थी

अनूपसिंह ने महाराणा कुम्भ के संगीत ग्रन्थो का पूरा संग्रह एकत्र करवाया था

अनूप पुस्तकालय (बीकानेर) पुस्तको का भंडार है जो की अनूप सिंह की दें है

गंगासिंह ने एक ऊंट  सेना का निर्माण किया था जिसका नाम गंगा रिसाला रखा गया था

1992 में गंगासिंह ने गंगनहर का निर्माण कराया पंजाब में जो सतलज नदी से निकलती है
अंतिम शासक शार्दुल गंगासिंह पुत्र 

 

मारवाड़ के राठौर राजवंश - मारवाड़ (जोधपुर)