पाबू जी (ऊँटो के देवता) के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारी

Important information about Pabuji (God of Camel)

पाबूजी के उपनाम- लक्षण के अवतार , ऊँटो के देवता , प्लेग रक्षक  के देवता, कुटुम्ब के देवता


 


पाबू राठौड़ का जन्म राठौड़ वंश के मूल पुरुष राव सीहा के वंशज मे 13 वीं सदी में कोलूमण्ड ( वर्तमान में जोधपुर जिले की फलौदी तहसील का कोलू पाबूजी गाँव ) में पिता का नाम धाधलजी राठौड़ एवं माता का नाम कमलादे के घर हुआ था । 

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पाबूजी का विवाह अमरकोट ( वर्तमान पाकिस्तान ) के सोढ़ा शासक राजा सूरजमल की पुत्री सुप्यारदे के साथ हुआ ।
माना जाता है कि पाबूजी की शादी के दौरान चौथे फेरे के बीच में ही उठकर बहनोई जायल के जीन्दराव खींची  से देवल चारणी की गायो  बचाने चले गए और देचू गांव (जोधपुर )में युद्ध करते हुए वीर गति  प्राप्त हुए।
पाबू जी की  घोड़ी का नाम केसर कालमी जो की देवल चारणी से मांग कर लाए थे और उसके बदले पाबू जी ने देवल चारणी को वचन दिया था कि उसकी गायो पर जब भी कोई संकट आएगा तो वह उन्हें बचाने जरूर आएंगे। गायों को बचाने के कारण पाबू जी को 'गौ रक्षक देवता' के रूप में पूजा जाता है।

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पाबू जी का बोध चिन्ह भाला, झुकी हुई पाग और के लिए प्रसिद्ध है।

पाबूजी की स्मृति में प्रतिवर्ष चैत्र अमावस्या को कोलूमण्ड ( फलौदी ) में मेला भरता है ।
ऊँट के बीमार होने पर पाबूजी की पूजा की जाती है । ऐसा माना जाता है कि राजस्थान में सर्वप्रथम ऊँट पाबूजी ने ही लाया था । उत्तरी एवं पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण अंचल में पाबूजी की मान्यता ऊँटों के देवता ' एवं ' प्लेग रक्षक देवता के रूप में है ।

थोरी , भील एवं मेहर मुसलमान पाबूजी को अपना आराध्य देव मानते हैं ओर  पाबू जी को पीर कहते है । चांदा - डेमा एवं हरमल पाबूजी के सहयोगी थे 

थोरी जाति के लोग सारंगी द्वारा पाबू जी  यश गाते है, जिसे राजस्थान की प्रचलित भाषा में 'पाबू धणी री वाचना' कहते है। पाबू जी थोरी जाति के सात भाइयो को न केवल आश्रय दिया ओर प्रधान सरदारों को अपने साथ रखा 

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भील जाति के नायक भोपों द्वारा  पाबूजी की स्तुति में फड़ का वाचन किया जाता है । रेबारी एवं भोपे ' माठ ' वाद्य के साथ ' पाबूजी के पवाड़े ' ( एक पद्यबद्ध वीरगाथा ) गाते हैं ।

ऐसा माना जाता है मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंठ भी पाबूजी लेके आए थे  अतः ऊंठों की पालक राइका (रेबारी) जाति पाबू जी को अपना आराध्य देव मानती  है।

कोलुमण्ड में इनका मंदिर बना हुआ है। जंहा प्रतिवर्ष चैत्र अमावस्या को मेला भरता है। पाबू जी के फड़ नायक जाति के भोपो द्वारा रावणहत्ता वाद्य यंत्र के साथ बाँची जाती है।

पाबूजी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालने वाला महत्त्वपूर्ण ग्रंथ ' पाबू प्रकाश ' है । इसकी रचना मोडजी आशिया नामक चारण कवि ने की थी , जो बाड़मेर जिले के भांडियावास गाँव के रहने वाले थे ।
 

 

 पिछली परीक्षा मे पूछे गए महत्वपूर्ण प्रश्न(FAQ)

प्र --- राजस्थान मे ऊँटो का देवता के रूप मे किसकी पुजा की जाती है?
उत्तर-- पाबू जी की

प्र -- पाबूजी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालने वाला पाबू प्रकाश महत्त्वपूर्ण ग्रंथ किसने लिखा ?
उत्तर --- मोडजी आशियाजो बाड़मेर जिले के भांडियावास गाँव के रहने वाले थे

प्र --- लोकदेवता पाबूजी का जन्म स्थान कहा स्थित है
उत्तर-- कोलूमंड (जोधपुर )

प्र --- पाबू जी की फड़ बाँचने वाले भोपे की वाधयंत्र का प्रयोग करते है ?
उत्तर-- रावणहत्था

प्र ---पाबू जी का बोध चिन्ह कोनसे है
उत्तर -- भाला, झुकी हुई पाग 

प्र --- राजस्थान मे ऊँटो के बीमार होने पर किस देवता की पुजा की जाती है ?
उत्तर-- प्लेग रक्षक ,लक्षण के अवतार के रूप मे माने जाने वाले लोकदेवता पबूजी को ऊँटो का देवता भी कहा जाता है ऊँटो के बीमार होने पर पबूजी की पुजा की जाती है ऊँटो को पालने वाले रेबारी जाति पबूजी को अपना आराध्य देव मानती है  पाबूजी की फड़ भोपों दुवारा रावण हत्था वाध के साथ बाँची / पढ़ी जाति है

प्र --- लोकदेवता पाबूजी की फड़ किस रोग को दूर करने हेतु बाँची जारी है?
उत्तर-- ऊँटो की रुग्णता दूर करने हेतु

प्र ---पाबूजी किस जाति के आराध्य देव है?
उत्तर-- रेबारी

प्र --- पाबूजी की जाति से संबन्धित थे ?
उत्तर-- राठौड़

प्र --- पाबू जी की घोड़ी का नाम था ?
उत्तर-- केसर कालमी

प्र --- पाबूजी का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर-- वि॰स 1239 ई ॰ पू

प्र --- पाबूजी की पत्नी का नाम था ?
उत्तर-- सोढ़ा

प्र ---पाबू जी ने किस शक्तिशाली शासक के सात भगोड़े भाइयो को शरण दी थी?
उत्तर-- आना बघेला